Kaushal Sahayata Mitra

kaushal sahayata mitra

दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल योजना

  1. परिचय
  2. योजना की विशेषताएं
  3. कार्यान्‍वयन प्रारूप
  4. परियोजना वित्‍तपोषण सहायता
  5. प्रशिक्षण संबंधी आवश्‍यकताएं
  6. प्रशिक्षण गुणवत्‍ता आश्‍वासन
  7. मापन और प्रभाव

परिचय

समावेशी विकास के लिए कौशल विकास

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से लेकर 35 वर्ष की उम्र के बीच के 5.50 करोड़ संभावित कामगार हैं। इससे भारत के लिए अपनी अतिरिक्‍त जनसंख्‍या को एक जनसांख्यिक लाभांश के रूप में परिणत करने का एक ऐतिहासिक अवसर सामने आ रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गरीब परिवारों के ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास और उत्‍पादक क्षमता का विकास के बल पर  दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्‍य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के कार्यान्‍वयन से देश के समावेशी विकास के लिए इस राष्‍ट्रीय एजेंडे पर जोर दिया है।

आधुनिक बाजार में भारत के ग्रामीण निर्धनों को आगे लाने में कई चुनौतियां हैं, जैसे औपचारिक शिक्षा और बाजार के अनुकूल कौशल की कमी होना। विश्‍वस्‍तरीय प्रशिक्षण, वित्‍तपोषण,  रोजगार उपलब्‍ध कराने पर जोर देने, रोजगार स्‍थायी बनाने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने जैसे उपायों के माध्‍यम से डीडीयू-जीकेवाई इस अंतर को पाटने का काम करती है।

योजना की विशेषताएं

  • लाभकारी योजनाओं तक निर्धनों और सीमांत लोगों को पहुंचने में सक्षम बनाना
  • ग्रामीण गरीबों के लिए मांग आधारित नि:शुल्‍क कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना
  • समावेशी कार्यक्रम तैयार करना
  • सामाजिक तौर पर वंचित समूहों (अजा/अजजा 50 प्रतिशत, अल्‍पसंख्‍यक 15 प्रतिशत, महिला 33 प्रतिशत) को अनिवार्य रूप से शामिल करना।
  • प्रशिक्षण से लेकर आजीविका उन्‍नयन पर जोर देना
  • रोजगार स्‍थायी करने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्‍य से पथ-प्रदर्शन के उपाय करना।
  • नियोजित उम्‍मीदवारों के लिए अतिरिक्‍त सहायता
  • नियोजन-पश्‍चात  सहायता, प्रवास सहायता और पूर्व-छात्र नेटवर्क तैयार करना।
  • रोजगार साझेदारी तैयार करने की दिशा में सकारात्‍मक पहल
  • कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्‍मीदवारों के लिए रोजगार की गारंटी करना।
  • कार्यान्‍वयन साझेदारों की क्षमता बढ़ाना
  • प्रशिक्षण सेवा प्रदान करने वाली नई एजेंसियां तैयार करके कौशल विकास करना।
  • क्षेत्रीय तौर पर जोर देना
  • जम्‍मू-कश्‍मीर (हिमायत), पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 27 जिले (रोशिनी) में निर्धन ग्रामीण युवाओं के लिए परियोजनाओं पर अधिक जोर देना।
  • स्‍तरीय सेवा वितरण
  • कार्यक्रम से जुडी सभी गति‍विधियां स्‍तरीय संचालन प्रक्रिया पर आधारित होंगी जो स्‍थानीय निरीक्षकों द्वारा बताए जाने के लिए नहीं हैं। सभी प्रकार के निरीक्षण भू-स्‍थैतिक प्रमाण, समय के विवरण सहित वीडियो/तस्‍वीरों द्वारा समर्थित होंगे।

कार्यान्‍वयन प्रारूप

डीडीयू-जीकेवाई एक तीन-स्‍तरीय कार्यान्‍वयन प्रारूप का अनुसरण करती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की डीडीयू-जीकेवाई राष्‍ट्रीय इकाई एक नीति निर्माता, तकनीकी सहायक और सुविधा एजेंसी के रूप में काम करती है। डीडीयू-जीकेवाई के राजकीय मिशन कार्यान्‍वयन सहायता प्रदान करते हैं और परियोजना कार्यान्‍वयन एजेंसियां कौशल प्रदान करने और रोजगार परियोजनाओं के माध्‍यम से कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन करती हैं।

परियोजना वित्‍तपोषण सहायता

डीडीयू-जीकेवाई के माध्‍यम से कौशल प्रदान करने वाली परियोजनाओं से जुड़े रोजगार के लिए वित्‍तपोषण सहायता उपलब्‍ध कराई जाती है, जिससे प्रतिव्‍यक्ति 25,696 रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक वित्‍तपोषण सहायता के साथ बाजार की मांग का समाधान किया जाता है, जो परियोजना की अवधि और आवासीय अथवा गैर-आवासीय परियोजना पर आधारित है। डीडीयू-जीकेवाई के माध्‍यम से 576 घंटे (तीन माह) से लेकर 2304 घंटे (बारह माह) की अवधि वाली प्रशिक्षण परियोजनाओं के लिए वित्‍तपोषण किया जाता है।

वित्‍तपोषण संबंधी घटकों में प्रशिक्षण के खर्च, रहने और खाने-पीने, परिवहन खर्च, नियोजन पश्‍चात सहायता खर्च, आजीविका उन्‍नयन और स्‍थाई रोजगार सहायता संबंधी खर्च में सहायता देना शामिल हैं।

परियोजना वित्‍तपोषण में परियोजना कार्यान्‍वयन एजेंसियों (पीआईए) को प्राथमिकता

  • विदेश में रोजगार
  • कैप्टिव रोजगार : ऐसे परियोजना कार्यान्‍वयन एजेंसी अथवा संगठन जो मौजूदा मानव संसाधन आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण : उद्योगजगत से सह-वित्‍तपोषण के साथ विभिन्‍न प्रशिक्षणों के लिए सहायता प्रदान करना।
  • अग्रणी नियोक्‍ता : ऐसी परियोजना कार्यान्‍वयन एजेंसियां जो 2 वर्षों की अवधि में कम से कम 10,000 डीडीयू-जीकेवाई प्रशिक्षुओं के कौशल प्रशिक्षण और नियोजन का आश्‍वासन देती है।
  • उच्‍च ख्‍याति वाली शैक्षिक संस्‍था : ऐसे संस्‍थान जो राष्‍ट्रीय मूल्‍यांकन और मान्‍यता परिषद (एनएएसी) की न्‍यूनतम 3.5 ग्रेडिंग वाले हैं अथवा ऐसे सामुदायिक महाविद्यालय जो विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग/अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा वित्‍तपोषित हों और डीडीयू-जीकेवाई परियोजनाओं को हाथ में लेने के लिए इच्‍छुक हों।


प्रशिक्षण संबंधी आवश्‍यकताएं

डीडीयू-जीकेवाई के माध्‍यम से खुदरा, आतिथ्‍य, स्‍वास्‍थ्‍य, निर्माण, स्‍व‍चालित, चमड़ा, बिजली, प्‍लम्‍बिंग, रत्‍न और आभूषण आदि जैसे अनेक 250 से भी अधिक ट्रेडों में अनेक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए वित्‍तपोषण किया जाता है। केवल मांग-आधारित और कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को रोजगार देने के लिए कौशल प्रशिक्षण देने का शासनादेश है।

प्रशिक्षण गुणवत्‍ता आश्‍वासन

राष्‍ट्रीय कौशल विकास नीति, 2009 के माध्‍यम से भारत एक ऐसे राष्‍ट्रीय योग्‍यता कार्यक्रम तैयार करने की जरूरत पर बल देता है, जो सामान्‍य शिक्षा और व्‍यावसायिक शिक्षा दोनों को प्रशिक्षण से जोड़ता है। तद्नुसार, भारत सरकार ने राष्‍ट्रीय कौशल योग्‍यता कार्यक्रम (एनएसक्‍यूएफ) अधिसूचित किया है ताकि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर की प्रणाली विकसित करने के साथ ही अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर तुलनायोग्‍य योग्‍यता प्रणाली विकसित की जा सके।

मापन और प्रभाव

डीडीयू-जीकेवाई पूरे देश में लागू है। फिलहाल यह योजना 33 राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 610 जिले में कार्यान्वित की गई है। इसमें 50 से अधिक क्षेत्रों से जुड़े 250 से अधिक ट्रेडों को शामिल करते हुए 202 से अधिक परियोजना कार्यान्‍वयन एजेंसियों की साझेदारी है। अब तक वर्ष 2004-05 से लेकर 30 नवंबर 2014 तक कुल 10.94 लाख उम्‍मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है और कुल 8.51 लाख उम्‍मीदवारों को रोजगार प्रदान किया गया है।

स्त्रोत- श्री एल सी गोयल (ग्रामीण विकास मंत्रालय में सचिव),पत्र सूचना कार्यालय,भारत सरकार

बारहवीं पंचवर्षीय योजना: एक दृष्टिकोण


1.बढ़ रही युवा जनसंख्या को रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान करने के लिए उन्नत प्रशिक्षण एवं कौशल विकास महत्वपूर्ण है और उन्नति की गति को तीव्र बनाए रखने के लिए यह आवश्यक भी है।

2. राष्ट्रीय कौशल विकास नीति का लक्ष्य, सभी व्यक्तियों को अच्छे रोजगार सुलभ कराने तथा विश्व बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उन्नत कौशल, ज्ञान तथा योग्यताओं के माध्यम से सक्षम बनाना है। 

यह नीति, सभी को, विशेष रूप से युवा, महिलाओं तथा वंचित वर्गों को कौशल प्रदान/ प्राप्त करने के अवसरों का सृजन करने, सभी स्टेकधारियों द्वारा अपनी कौशल विकास पहल की वचनबद्धता को बढ़ावा देने और सबसे महत्वपूर्ण रूप में बाजार की वर्तमान तथा बढ़ रही रोजगार आवश्यकताओं से संबद्ध उच्च स्तर के कुशल कार्य-बल/उद्यमियों के विकास पर बल देती है।

राट्रीय कौशल विकास नीति में आई.टी.आई. (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों)/आई.टी.सी. (औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों)/व्यावसायिक स्कूलों/तकनीकी स्कूलों/ पोलिटेक्निक/ व्यावसायिक कॉलेज आदि; विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों द्वारा आयोजित प्रांतीय कौशल विकास के अध्ययन प्रवर्तन; उद्यमों द्वारा औपचारिक तथा अनौपचारिक प्रशिक्षुता एवं अन्य प्रकार के प्रशिक्षण; स्व-रोजगार/उद्यम विकास के लिए प्रशिक्षण; अनौपचारिक प्रशिक्षण; ई-लर्निंग; वेब-आधारित अध्ययन तथा दूरस्थ अध्ययन सहित संस्था आधारित कौशल विकास शामिल है।

3. कौशल विकास के लाभ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के छात्रों के प्लेसमेंट में देखे जा सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिश्चित आर्थिक परिदृश्य के बावजूद, अधिकांश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के लगभग सभी 100% छात्रों का प्लेसमेंट होता है।

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